उत्तराखंड का शहर रानीखेत बना भारत के सबसे बड़े ओपन एयर फर्नेरी का घर।

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38,000 वर्ग किलोमीटर तथा अपने भौगोलिक क्षेत्र का 71.05% के वन क्षेत्र वाला राज्य, उत्तराखंड कई समय से लगभग 4907 फनल प्रजातियों का घर रह चुका है। हाल ही में अपनी पर्यावरण यात्रा में इस राज्य ने एक और मुकाम हासिल कर लिया जब 12 सितंबर 2021 को अल्मोड़ा के रानीखेत जिले में फर्न के प्रसिद्ध विशेषज्ञ नीलंबर कुनेथा के हाथों भारत की सबसे बड़ी ओपन एयर फर्नेरी का उद्घाटन किया गया। फ़र्नरी, फ़र्न की खेती और प्रदर्शन के लिए एक विशेष उद्यान है जबकि फ़र्न vascular पौधों (xylem और phloem वाले पौधे) के एक समूह का सदस्य है जो बीजाणुओं (spores) के माध्यम से प्रजनन करता है और इसमें न तो बीज होते हैं और न ही फूल।

फर्नेरी का उद्देश्य:
रानीखेत स्तिथ इस फ़र्नरी को ‘फ़र्न प्रजातियों के संरक्षण’ के साथ-साथ ‘उनकी पारिस्थितिक भूमिका (ecological role)’ के बारे में जागरूकता पैदा करने और आगे के शोध को बढ़ावा देने’ के लिए विकसित किया गया है।

फ़र्नरी के बारे में:
फ़र्नरी बड़ी संख्या में फ़र्न प्रजातियों का घर है, जिनमें से कुछ राज्य के लिए स्थानिक हैं, कुछ औषधीय महत्व रखते हैं जबकि कुछ खतरे वाली प्रजातियां हैं जो देखभाल और संरक्षण की मांग करती हैं। यह केंद्र की प्रतिपूरक वनरोपण योजना CAMPA के तहत उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा तीन साल से अधिक की अवधि में विकसित किया गया है। इस फर्नेरी को रानीखेत के प्राकृतिक वातावरण से घिरे 1800 मीटर की ऊंचाई पर 4 एकड़ से अधिक भूमि में विकसित किया गया है। क्योंकि फ़र्न को बढ़ने और फैलने के लिए नमी और छाया दोनों की आवश्यकता होती है इसलिए ये फ़र्नरी एक छायादार क्षेत्र पर स्थित है जिसमें एक पहाड़ी नाला है जो कि ऑफ मानसून के मौसम में फ़र्न पानी की आवश्यकता को पूरा करेगा।


फ़र्नरी में फ़र्न की 120 विभिन्न प्रजातियों का संग्रह है जो इसे जवाहरलाल नेहरू ट्रॉपिकल बॉटनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (TBGRI), तिरुवनंतपुरम के बाद , फ़र्न प्रजातियों की इतनी विशाल विविधता के साथ दूसरा सबसे बड़ा फ़र्नरी बनाता है।
इसमें पश्चिमी और पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों के साथ-साथ पश्चिमी घाट की प्रजातियों का मिश्रण है। यहाँ कई दुर्लभ प्रजातियां हैं, जिनमें से प्रमुख हैं ट्री फर्न (साइथिया स्पिनुलोसा) जिसे उत्तराखंड के राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा “खतरे” के रूप में घोषित किया गया है। फर्नेरी में लगभग 30 प्रजातियां हैं जिनका जबरदस्त औषधीय महत्व है। प्रजातियों में हंसराज (एडियंटम वेनस्टम) शामिल है जिसे आयुर्वेद के साथ-साथ तिब्बती चिकित्सा पद्धति में कई बीमारियों के इलाज के रूप में महत्व दिया गया है।


ये फर्नेरी, फ़र्न की कुछ प्रमुख खाद्य प्रजातियां जैसे लिंगुरिया, कई epiphyte, जलीय फ़र्न और दिलचस्प और लोकप्रिय फ़र्न जैसे विषकन्या, मयूरशिखा, लेडी फ़र्न, बोस्टन फ़र्न, लैडर फ़र्न, रॉक फ़र्न और हॉर्सटिल फ़र्न को प्रदर्शित करता है।
फ़र्न पौधों के सबसे प्राचीन समूह में से एक हैं जो बीजाणुओं (spores) के माध्यम से फैलते हैं और पूरी तरह से विकसित vascular प्रणाली वाले पहले पौधे थे।
फ़र्न का उपयोग प्रदूषित पानी से भारी धातुओं (heavy metals) को छानने के लिए भी किया जाता है।
फ़र्न की कुछ प्रजातियाँ अच्छे नाइट्रोजन फिक्सिंग एजेंट कहलाते हैं और जंगलों की समझ बनाते हैं पर उनकी सटीक भूमिकाओं को अभी भी पूरी तरह से समझा जाना बाकी है, जिसके लिए ये फर्नेरी काफी लाभदायक साबित होगी।

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