Mindblown: a blog about philosophy.
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पहाड़ी संस्कृति और सभ्यता से जुड़े, क्या सच में विलुप्त हो जायेंगे पहाड़ी धारे? जानिए क्या कहती है रिपोर्ट
पहाड़ों को पहाड़ों से भी ज्यादा सुन्दर बनाते है, जो बस बहते चले जाते है, यहाँ के “धारे”। हिमालय में मन बांध लेने वाले दृश्य और इस दृश्य पर चार चाँद लगाते हैं, यहाँ के “धारे”।ये धारे उत्तराखंड की आबादी के लिए स्वच्छ जल का स्त्रोत है। या यूँ कहें कि ये धारे हिमालय की…
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इतिहास के सबसे बड़े पर्यावरण आंदोलन की कहानी, आखिर कैसे हुई EARTH DAY की शुरुआत
22 अप्रैल को मनाया जाने वाला अर्थ डे पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता एक वार्षिक कार्यक्रम है। 1970 में आधुनिक पर्यावरण आंदोलन के रूप में मनाया गया ये दिन हर साल लगभग 190 से ज्यादा देश और 1 अरब से ज्यादा लोगों को प्रेरित करता आ रहा है।1970 से पहले आधुनिकता व विकास की…
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संवेदनाओं से थोड़ा दूर, पर जमीनी हकीकत के बहुत करीब: लखवार ब्यासी जलविद्युत परियोजना।
यूँ तो पहाड़ी राज्य उत्तारखण्ड में कई परियोजनाओं ने पाँव पसेरे पर बांध निर्माण जैसी त्रासदी शायद ही कोई परियोजना ने उत्तारखण्ड वासियों को दी हो।सालों पहले एक जख्म था, जिस में हँसती खेलती टिहरी, वहाँ के घर, चहचहाते आँगन सब जल समाधी ले बैठे और लोग अपनी पैतृक विरासत को आँखों में बसाए वहां…
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विलुप्त होने के 74 वर्षों के बाद क्या भारत में फिर से नज़र आएंगे चीता?
दुनिया के सबसे तेज स्तनधारी जीव चीता अब भारत लौटने के लिए तैयार हैं। मध्य प्रदेश कुछ ही हफ्तों में चीतों को पेश करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। देश में आखिरी बार चीता पाए जाने का प्रमाण 74 साल पहले मिला था, इतने सालों बाद इन जंगली बिल्लियों की वापसी के लिए उठाया…
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महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी रानीबाग की प्रीती रिंवी, “बुआ जी मशरुम” से कमाया नाम|
अगर कुछ अच्छा करने का जुनून हो, प्रेम से भरा जज़्बा हो और परोपकार के लिए हौसला हों, आत्मीयता के साथ आगे बढ़ने की पवित्र भावना हो तो ईश्वर किसी ना किसी रूप में अवश्य हमारे साथ होते हैं और बंद दिखलाई पड़ते दरवाजे भी अपने आप खुलते चले जाते हैं।” उपर्युक्त कथन को शत…
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उत्तराखंड, अस्कोट कस्तूरी मृग सैंक्चुअरी को इको-सेंसिटिव जोन बनाने का ऐलान
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव में स्थित है। इसे कस्तूरी मृग पार्क के रूप में भी जाना जाता है। इस पार्क की स्थापना वर्ष 1986 में लुप्तप्राय कस्तूरी मृग (उत्तराखंड के राज्य पशु) और इसके आवास की रक्षा के उद्देश्य से की गई थी। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य 1600…
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पिथौरागढ़ के किसान का कमाल: गाँव की बंजर भूमि को बदला विश्व प्रसिद्ध चाय बागानों में।
हिमालयी क्षेत्र खेती और भूमि उपयोग काम के लिए बहुत संवेदनशील क्षेत्र है। इन हिमालयी क्षेत्रों में बंजर भूमि का बढ़ना यहाँ की सबसे बड़ी समस्या है। जबकि दूसरी ओर इन पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत अधिक बेरोजगारी और पलायन है।यही कारण है कि पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय होने के बावजूद भी उत्तराखंड ने अपने…
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दो दशकों बाद क्या बुक्सा टाइगर रिज़र्व के जंगलों में फिर से लौटेंगे बाघ?
बंगाल सदियों से अपने रॉयल बंगाल टाइगर की वजह से जाना जाता आया है। पर प्रगति की दौड़ में ये जानवर हमसे काफी पीछे छूट गए। यही कारण रहा कि स्वयं बाघ संरक्षण छेत्र होने के बावजूद भी बुक्सा टाइगर रिज़र्व ने पिछले 23 सालों में एक भी बाघ नहीं देखा था।एक रिपोर्ट के अनुसार…
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उत्तराखंड के वन्य जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य को मिली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान।
यूँ तो पहाड़ी राज्य उत्तराखंड दुनिया भर में अपनी सुंदरता के लिए विख्यात है। इस कारण वो साल भर पर्यटकों की पहली पसंद बना रहता है। उत्तराखंड के पहाड़, यहाँ की वनस्पति और वन्य जीवन हमेशा से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते है। हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में झीलों…
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